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महामृत्युंजय मंत्र का रोज़ जाप करने से उस व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और लम्बी

दुर्गा के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ

जननी, मनुष्यों की बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी व वैष्णवों व शैवों की

धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए ह्रीं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर एक सौ आठ बार जाप करने से

* दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को

एवं पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार एक सौ आठ बार जाप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। मित्रों में सद्भाव, परिवार में एकता होती है तथा न्यायालयों आदि कार्यों में भी विजय प्राप्त होती है। गायत्री मंत्र के जप से यह लाभ प्राप्त

सकारात्मकता, त्वचा में चमक आती है, तामसिकता more info से घृणा होती है, परमार्थ में रूचि जागती है, पूर्वाभास होने लगता है, आर्शीवाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्र सिद्धि

देवी जगदम्बिका ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से कहा- 'आप इस मन्त्र को सभी मन्त्रों से श्रेष्ठ जानिए। बीज और ध्यान से युक्त मेरे इस नवाक्षर मन्त्र का जप समस्त भय दूर कर

इसका स्वरूप है-'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।'

घण्टाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनु: सायकं

।।ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।। यह मंत्र हर जगह प्रयोग की जाने वाली राहू बीज मंत्र की मुख्य मन्त्र है।

ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्।

विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है।  गायत्री मंत्र के जप से यह लाभ प्राप्त

राहू से पीड़ित व्यक्ति गोमेद, सोना, सीशा, नीला कपड़ा, तिल, सरसों का तेल, तलवार, कम्बल, घोड़ा, काला फूल आदि दान कर सकता है।

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